जीवन के तट पर-मेरे मन की सइरा में सफ़र करते जब मेरे पाँव थक जाते हैं तब कलम का सहारा ले कर शबनमी सपने बुनने लगती हूँ. प्यास की आस बंध जाती है, सफर बाकी कुछ और.... सिर्फ थोड़ा और.....
हर तरफ़ शबनमी नूर छलकेकहकशाँ को ज़मीं पर ले आओwaah
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हर तरफ़ शबनमी नूर छलके
कहकशाँ को ज़मीं पर ले आओ
waah
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