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Saturday, August 24, 2013

काला उजाला


वह एक धोबिन

अपनी ही दरिद्रता की

गंदगी में

अमीरी की मैल धोती है।

 

उस बाहरी उजलेपन को

देखने वाली आँखें

उसके पीछे का मटमैलापन

नहीं देख पातीं।

 

काश अमीरी भेद पाती  

तो यक़ीनन देखती और महसूसती

उस गंदगी की बदबू को

जो वह ओढ़ती रहती है बार-बार

सच मानिए, तब वह ज़रूर

एक उजला रुमाल

अपनी नाक पर ज़रूर धर देती।

देवी नागरानी

नवी मुंबई आर्ट फेस्टिवल


 
संकल्प वेलफ़ैयर असोशिएशन द्वरा आयोजित विशाल हिन्दी-उर्दू कवि सम्मेलन, संस्था के अध्यक्ष डॉ॰ जी एल करनानी की उपस्थिति में, २७ जनवरी २०१३ की शाम को  नवी मुंबई आर्ट फेस्टिवल at urban Hatt (ampitheater) बेलापुर में एक सुहानी शाम का समा बांधने में कामयाब रहा। इसमें शिरकत करने वाले हिन्दी और उर्दू के कवि, शायर मिली जुली गंगो-जमन की काव्य सरिता को 6-9 बजे तक कलकल प्रवाहित करते रहे।
श्री अनंत श्रीमाली के सशक्त संचालन में इतनी शिद्दत रही कि आर्ट फेस्टिवल के कई सेक्टर्स से लोगों का हुजूम आवाज़ पर बंधा चला आया और काव्य का रसपान करता रहा। काव्य में शामिल था हास्य, व्यंग, प्रेम गीत, तीखे  तेवरों में डूबी रचनाएँ! शिरकत करने वाले रहे –दायें से बाएँ राजेश टैगोर, मीनू मदान, डॉ॰ लक्ष्मण शर्मा वाहिद,न्ना मुज़फ्फ़पुरी,  श्रीमती देवी नागरानी, श्रुति संवाद के अध्यक्ष श्री अरविंद राही, संस्था के अध्यक्ष श्री जी एल करनानी, प्रमिला शर्मा, अनंत श्रीमाली, प्रतीक दवे और दिलशाद सिद्दीकी। माहौल में मधहोशी के साथ सुरूर शामिल रहा। करनानी जी ने सभी शायरों का पुष्प गुच्छ से अभिनंदन व धन्यवाद किया। और अंत में खाने का उतम प्रबंध रहा। जयहिंद

देवी नागरानी