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Tuesday, November 16, 2010

अमीरी में न गम होता

अगर सूरज सदा सोता
कहाँ रौशन जहाँ होता

खरीदी जाती गर खुशियाँ
अमीरी में न ग़म होता

अगर मिल जाता खाने को
न कोई भूख से रोता

किसी को होती चिँता क्यों
सुकूँ की नींद वो सोता

परेशानी, पशेमानी
वो है पाता जो है बोता

लगे चिँता चिता उसको
लगाए इसमें जो गोता

ये इन्साँ बैल है देवी
जिसे जीवन ने है जोता
देवी नागरानी

Tuesday, November 9, 2010

भूखे को तुम रोटी दे दो

मोटी हो या दुबली दे दो
दादी माँ को पोती दे दो

पेट नसीहत से न भरेगा
भूखे को तुम रोटी दे दो

बिन पानी के प्यासे पौधे
उनको जल की लोटी दे दो

बाल नहीं हैं जिनके सर पर
उनको लंबी चोटी दे दो

फुटपाथों पर जो रोते हैं
उनको छोटी खोली दे दो

झूठ और सच को परखे ‘देवी’
ऐसी एक कसौटी दे दो
देवी नागरानी