अगर सूरज सदा सोता
कहाँ रौशन जहाँ होता
खरीदी जाती गर खुशियाँ
अमीरी में न ग़म होता
अगर मिल जाता खाने को
न कोई भूख से रोता
किसी को होती चिँता क्यों
सुकूँ की नींद वो सोता
परेशानी, पशेमानी
वो है पाता जो है बोता
लगे चिँता चिता उसको
लगाए इसमें जो गोता
ये इन्साँ बैल है देवी
जिसे जीवन ने है जोता
देवी नागरानी
6 comments:
ये इन्साँ बैल है देवी
जिसे जीवन ने है जोता
वाह देवी नागरणी जी, वव्वाह, वव्वाह|
खरीदी जाती गर खुशियाँ
अमीरी में न गम होता
अगर मिल जाता खाने को
न कोई भूख से रोता
bahoot hi sachchhai bayan karti hui nazme...... bahoot khoob
wah .bahut sunder.
खरीदी जाती गर खुशियाँ
अमीरी में न गम होता
satya hai!
sundar lekhan!
देवी नागरानी जी,
ख़ूब पढ़ा है आपको देश-व्यापी पत्रिकाओं में...और छपा भी हूँ आपके साथ! ...मगर इंटरनेट पर आपको प्रथम बार पढ़ रहा हूँ...अच्छा लगा यहाँ आकर!
ये पंक्तियाँ बहुत पसंद आयीं :
खरीदी जाती गर खुशियाँ
अमीरी में न गम होता
परेशानी, पशेमानी
वो है पाता जो है बोता
लगे चिँता चिता उसको
लगाए इसमें जो गोता
ये इन्साँ बैल है देवी
जिसे जीवन ने है जोता
हाँ...इसमें मत्अले का शे’र नहीं दिखा...!
मैं श्री जितेंद्र जौहर जी की अभारी हूं, जिन्होंने मुझे मक्ता लिखने पर प्रोतसाहित किया, जो मैंने अब जोड़ा है. ये बाल कविताएं बहुत पुरानी मेरी डाइरी में दर्ज थी जो अब यहाँ पर पोस्ट करने की कोशिश कर रही हूं. आप सभी का आभार जो इन रचनाओं पर अपनी नज़र सानी की. णव वर्ष २०११ की शुभकामनाओं के साथ ...देवी नागरानी
Post a Comment