कल और आज के बीच का
यह पल मेरा है
और यही वह समय है
जिसमें मैं
उस सचाई से परिचित हुई हूँ
कि मैं वो नहीं
जो कुछ करती हूँ
करता कोई और है
मैं वो नहीं जो सुनती हूँ
सुनता कोई और है
मैं वो नहीं जो जीती हूँ
जीता कोई और है
मैं तो खुद को जीवित रखने के लिए
रोज़ मरती हूँ
देवी नागरानी
यह पल मेरा है
और यही वह समय है
जिसमें मैं
उस सचाई से परिचित हुई हूँ
कि मैं वो नहीं
जो कुछ करती हूँ
करता कोई और है
मैं वो नहीं जो सुनती हूँ
सुनता कोई और है
मैं वो नहीं जो जीती हूँ
जीता कोई और है
मैं तो खुद को जीवित रखने के लिए
रोज़ मरती हूँ
देवी नागरानी
1 comment:
bahut nazuk si kavita likhi hain.....
Post a Comment