चले जिस राह पर बरसों
उन्हें अनजान पाता क्यों ?
कहीं गैरों में अपनापन
कहीं अपना न भाता क्यों ?
बना जो ग़ैर है अपना
उसे फिर से बुलाता क्यों ?
कहीं नफ़रत न कर पाएँ
कहीं है प्यार आता क्यों ?
छलक पड़ते जो आसूँ वो
तू मुझसे है छुपाता क्यों?
खड़ी जिस शाख पर देवी
वहीं आरी चलाता क्यों ?
देवी नागरानी
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छलक पड़ते जो आसूँ वो
तू मुझसे है छुपाता क्यों?
खड़ी जिस शाख पर देवी
वहीं आरी चलाता क्यों ?
बहुत ही गहरे जज्बात भरे है इस कविता में ....... सुंदर प्रस्तुति.
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