ये सागर पानी पानी है
लहर हर इक कहानी है
लहर आए लहर जाए
अजब सी ये रवानी है
उमड़कर बाँध तोडे जो
उसे कहते जवानी है
जो समझे झूठ को है सच
वही दुनियाँ दिवानी है
क्षितिज के पार दुनियाँ इक
हमें भी तो बनानी है
तिलस्मि सारी ये दुनियाँ
यही क्या जिँदगानी है?
देवी नागरानी
2 comments:
बहुत ही प्यारे एहसाह भरे है इस कविता में....... सुंदर प्रस्तुति . दिल को छू लिए..
behad sunder bhaw.
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