Pages

Saturday, October 27, 2007

रिशतों मेँ है सौदेबाजी


आज का बालक कल का पिता
रिशतों में है सौदेबाज़ी
कोई नहीं है किससे राज़ी.
तुम गर सेर सवा मैं भी हूँ
समझो भल पर कम नहीं हूँ
तू मेरा मैं तेरा काजी
कोई नहीं है किससे राज़ी.
"तेरा मेरा" करके बढ़ाई
दिल में दरार की यह खाई
इक दूजे के वो सौदाई
कोई नहीं है किससे राज़ी
नहीं शिकायत शिकवा कोई
कौन यहाँ है दिलबर देवी
लुटी लुटी है सारी खुदाई
कोई नहीं है किससे राज़ी

No comments: