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Friday, February 18, 2011

आओ राजा आओ रानी




आओ राजा आओ रानी
तुम्हें सुनाऊँ एक कहानी
एक था हाथी, एक थी हाथिन
दोनों निकले पीने पानी

हाथिन ने जब पी लिया जल
हाथी ने कुछ मन में ठानी
पानी भरकर सूड़ में अपनी
दोनों राह चले पहचानी

चलते चलते राह में देखा
पानी बिन इक चिड़िया प्यासी
पास में उसके जा हाथी ने
बरसाया सब सूड़ का पानी

ख़ुश हुए सब देखने वाले
ताली बजा बजाकर नाचे
"हाथी वन का बना है राजा
हाथिन उसकी हुई है रानी"

आओ राजा आओ रानी
तुम्हें सुनाऊँ एक कहानी
देवी नागरानी

8 comments:

mridula pradhan said...

bahut pyari si kavita hai bal hriday se nikli lagti hai......

Shikha Kaushik said...

bahut sundar bhavon se bhari bal kavita .

सुनील गज्जाणी said...

devi mem !
pranam !
BEHAD HI PYARI HAI YE KAVITA , SUNDER ,
SADHUWAD
SAADAR

त्रिवेणी said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति !

Dr Varsha Singh said...

Very nice ....Interesting post. Congratulations!

निर्मला कपिला said...

बहुत ही सुन्दर कवितामय कहानी। इसे सुन कर ही शायद बिटिया हंस रही है। बहुत बहुत शुभकामनायें।

Satish Saxena said...

बहुत खूब !
बाल मन को समझाने वाले ही कवि होते हैं ! उनके लिए रचनाये लिखना आसान काम नहीं , आप सफल रही हैं ! शुभकामनायें आपको !!

Devi Nangrani said...

Aap sabhi ka hriday se abhaar. main to bas man se gadhkar jab unko sunati hoon to lagta hai apne bachpan mein laut aati hoon