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Wednesday, November 21, 2007

एक मुर्गा चश्मे दीदम


एक मुर्गा चश्मे दीदम
चलते चलते थक गया
लाओ चाकू काटो गर्दन
फिर भी वो चलने लगा

कलमकारःस्तुति शर्मा

श्री आर. पी शर्मा जी की पर पोती। दादर मंबई