दिवाली
मेरे मन की आशा ने दीपक जलाये
दिवाली की दहलीज़ पर जगमगाये.
अंधेरों से बाहर निकलकर मैं आई
वो यादों के जुगनू थे जब झिलमिलाये.
बड़ी खुशनुमा याद के की ताज़गी है
जो मुरझेए फूलों को फिर से खिलाये.
कई तीज त्यौहार बरसों से हमने
है मिल जुल के अपनों के संग में मनाये.
मंगलमय दशहरा दिवाली हो सबकी
फले फूले सब और खुशी से नहाये.
देवी नागरानी
9, नवंबर, २००७
मेरे मन की आशा ने दीपक जलाये
दिवाली की दहलीज़ पर जगमगाये.
अंधेरों से बाहर निकलकर मैं आई
वो यादों के जुगनू थे जब झिलमिलाये.
बड़ी खुशनुमा याद के की ताज़गी है
जो मुरझेए फूलों को फिर से खिलाये.
कई तीज त्यौहार बरसों से हमने
है मिल जुल के अपनों के संग में मनाये.
मंगलमय दशहरा दिवाली हो सबकी
फले फूले सब और खुशी से नहाये.
देवी नागरानी
9, नवंबर, २००७
1 comment:
बहुत सुन्दर !
इला
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