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Saturday, December 25, 2010

कहीं है प्यार आता क्यों ?

चले जिस राह पर बरसों
उन्हें अनजान पाता क्यों ?

कहीं गैरों में अपनापन
कहीं अपना न भाता क्यों ?

बना जो ग़ैर है अपना
उसे फिर से बुलाता क्यों ?

कहीं नफ़रत न कर पाएँ
कहीं है प्यार आता क्यों ?

छलक पड़ते जो आसूँ वो
तू मुझसे है छुपाता क्यों?

खड़ी जिस शाख पर देवी
वहीं आरी चलाता क्यों ?
देवी नागरानी

Tuesday, December 14, 2010

ये सागर पानी पानी है

ये सागर पानी पानी है
लहर हर इक कहानी है

लहर आए लहर जाए
अजब सी ये रवानी है

उमड़कर बाँध तोडे जो
उसे कहते जवानी है

जो समझे झूठ को है सच
वही दुनियाँ दिवानी है

क्षितिज के पार दुनियाँ इक
हमें भी तो बनानी है

तिलस्मि सारी ये दुनियाँ
यही क्या जिँदगानी है?
देवी नागरानी

आई है ख़ुशियों की भोर

बाळ गीत

मस्त फ़िजाँ मेँ भीनी भोर
ख़ुशबू देती चारों ओर

बादल गरजे घनघन घन घन
छाई घटा कारी घन घोर

रिमझिम रिमझिम पानी बरसे
प्यासा मोर मचाए शोर

कळ कळ कळ कळ पानी बहता
प्यास बुझाए प्यासे ढोर

ऊँची उड़ान भरे मन ऐसे
जैसे पतँग की कोई डोर

मदमाती मस्ती है देवी
आई है ख़ुशियों की भोर
देवी नागरानी