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Friday, March 7, 2008

तितली उड़ी

तितली उड़ी, बस में चढ़ी
सीट नहीं मिली
ड्राइवर ने कहा
आजा मेरे पास
तितली बोली " हट बदमास"
मैं तो चली वापस आकाश.

प्रसुतकर्ताः
स्तुति शर्मा

14 comments:

daanish said...

bachpan ki sukomal aur shuddh
bhaavnaao ka nirmal chitran...
---MUFLIS---

दिगम्बर नासवा said...

आपने तो लाजवाब पैरोडी बना दी............. क्या बात है

कडुवासच said...

... sundar rachanaa !!!

Fauziya Reyaz said...

chhoti thi to bade maze se ye gaati thi...bachpan ki yaad dilane ke liye shukriya

रचना गौड़ ’भारती’ said...

बहुत खूब तितली ने सही कहा। मेरे ब्लोग पर आपका स्वागत है।

Randhir Singh Suman said...

n[ce

Science Bloggers Association said...

बचपन के दिन याद आ गये।
----------
डिस्कस लगाएं, सुरक्षित कमेंट पाएँ

जसबीर कालरवि - हिन्दी राइटर्स गिल्ड said...

acchi rachna ke liye badahai

jasbirkalravihwg.blogspot.com

निर्मला कपिला said...

बहुत सुन्दर बधाई । पहली बार आपका ब्लोग देखा बहुत अच्छा लगा ।

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

मोहतरमा देवी साहिबा, आदाब
तितली उड़ी...समेत सभी रचनाएं अनूठी हैं
एक अलग ही अंदाज झलक रहा है आपकी क़लम में
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

kshama said...

Ha,ha!

Subhash Rai said...

बहुत सुन्दर सादगी भरी रचनायें. बधाई. साखी पर आने और लिखने के लिये धन्यवाद. आप को बार-बार कभी सृजनगाथा पर, कभी कहीं और देखना और पढ़्ना अच्छा लगता है. साखी पर रविवार को नये शायर की रचनायें होंगी. आप का इंतजार रहेगा.

संजीव गौतम said...

वाह! वह! बिल्कुल बचपन की तरह कोमल
साखी पर आपने ग़ज़लों को जो अपना दुलार दिया उसके लिए तहे-दिल से शुक्रिया. इस बहाने यहां तक पहुंचने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ. आपकी रचनाओं को पत्र-पत्रिकाओं तथा सुबीर जी के ब्लाग पर पढ़ता रहा हूं. आज आपको प्रणाम निवेदित करने का सुअवसर भी प्राप्त हुआ. पुनः आभार सहित

Devi Nangrani said...

Aaj do saal ke pashvhaat is blog par aayi aur hairani ke saath khushi hui aap sabhi ko yahan paakar..tahe dil se dhanyawaad